"सिविल जज की इश्कबाज़ी ने दो जिंदगियां बर्बाद कर दी – एक पत्नी को जज बनाने का सपना दिखाया, दूसरी को अफीम की झूठी कहानी सुनाकर दिल तोड़ा!"
शिवपुरी जिले में सामने आए एक चौंकाने वाले मामले ने न्याय व्यवस्था और सामाजिक मूल्यों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यहां एक सिविल जज पर दो अलग-अलग महिलाओं की जिंदगी में तूफान लाने और परिवार को बिखेरने के गंभीर आरोप लगे हैं। इस पूरे घटनाक्रम में प्यार, शिक्षा, अफीम जैसे झूठे किस्से, फर्जी दस्तावेज़, और न्याय की गद्दी का इस्तेमाल कर निजी स्वार्थों को साधने का आरोप सामने आया है।
आशीष पाल की टूटती दुनिया: पत्नी को पढ़ाया, सपनों से सजाया... लेकिन मिला धोखा
राघवेंद्र नगर के निवासी आशीष पाल ने मीडिया से बातचीत में अपनी आपबीती साझा करते हुए बताया कि उन्होंने वर्ष 2006 में इंदौर की युवती से प्रेम विवाह किया। इसके बाद उन्होंने अपनी पत्नी को उच्च शिक्षा दिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी — बीए, बीएड, एलएलबी और पीजीडीसीए जैसी डिग्रियां दिलवाईं। आशीष का सपना था कि उनकी पत्नी सिविल जज बनकर समाज में नाम रोशन करे।
इसी दौरान उनकी पत्नी की मुलाकात एक कोचिंग सेंटर में दीपू शाक्य नामक युवक से हुई। दीपू उस समय जज बनने की तैयारी कर रहा था। आशीष का दावा है कि उनकी पत्नी और दीपू के बीच का रिश्ता जल्द ही एक सामान्य मार्गदर्शन से आगे बढ़ गया। शक की सुई तब तेज हुई जब फोन कॉल्स का सिलसिला बढ़ गया, और अलग-अलग सिम कार्ड्स का इस्तेमाल शुरू हुआ।
16 अप्रैल 2025 को आशीष की पत्नी अचानक घर से दोनों बच्चों और लगभग 50 ग्राम सोने के गहनों के साथ लापता हो गई। आशीष ने तुरंत स्थानीय पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई और आरोप लगाया कि उसकी पत्नी को बहकाकर ले जाया गया है।
गंगा शाक्य की दास्तान: प्यार से शुरू हुई जिंदगी अब न्याय की चौखट पर
जवाहर कॉलोनी निवासी गंगा शाक्य ने बताया कि उन्होंने वर्ष 2011 में दीपू शाक्य से प्रेम विवाह किया था। दीपू ने शादी के कुछ साल बाद सिविल सेवा परीक्षा पास की और 2019 में जज के पद पर नियुक्त हुए। गंगा के अनुसार, जज बनने के बाद दीपू के स्वभाव में अचानक परिवर्तन आया। उन्होंने मारपीट करना शुरू कर दिया और मानसिक उत्पीड़न देने लगे।
इसके बाद दीपू ने एक नई कहानी रची — अफीम कारोबार में घाटा होने और माफिया से जान का खतरा होने की बात कहकर तलाक लेने की ज़रूरत बताई। दीपू ने गंगा को भरोसा दिलाया कि यह तलाक सिर्फ एक औपचारिकता होगी और उनके रिश्ते पर असर नहीं पड़ेगा। जून 2024 में तलाक की अर्जी डाली गई और जनवरी 2025 में कोर्ट ने उसे मंजूरी दे दी।
फर्जी दस्तावेज़ों से हुआ पर्दाफाश
गंगा को संदेह तब हुआ जब उन्हें एक आधार कार्ड मिला जिसमें उनके नाम पर किसी और महिला — मोनिका (आशीष की पत्नी) — की तस्वीर लगी हुई थी। इसके बाद जब उन्होंने आशीष पाल से संपर्क किया तो सच्चाई का पूरा जाल सामने आया।
गंगा ने बताया कि दीपू अब उसी महिला के साथ रह रहे हैं जो पहले आशीष की पत्नी थी। इस घटनाक्रम ने उन्हें मानसिक और सामाजिक रूप से तोड़ दिया है। अब उन्होंने ग्वालियर हाईकोर्ट में तलाक को चुनौती देते हुए पुनर्विचार याचिका दायर की है।
संयुक्त प्रेस वार्ता में फूट-फूट कर सुनाई आपबीती
प्रेसवार्ता के दौरान आशीष और गंगा दोनों ने भावुक होकर कहा कि कानून के जानकारों ने ही उनके साथ सबसे बड़ा अन्याय किया है। आशीष ने कहा, “जिसे मैंने अपने हाथों से पढ़ाया, उसका भविष्य बनाया, वही मुझे छोड़कर चली गई — और उस शख्स के पास जो कानून की रक्षा की शपथ लेकर सबका विश्वास तोड़ रहा है।”
गंगा ने आरोप लगाया कि उन्हें योजनाबद्ध तरीके से मानसिक रूप से तोड़ा गया और फिर कानूनी बहानों से किनारे कर दिया गया। “मुझे धोखे से अलग किया गया ताकि किसी और को मेरी जगह दी जा सके,” उन्होंने कहा।
अब दोनों चाहते हैं सिर्फ न्याय
इस पूरे मामले में दोनों पीड़ितों की मांग स्पष्ट है — उन्हें इंसाफ चाहिए। उनके अनुसार, यदि न्याय की कुर्सी पर बैठा व्यक्ति ही अपने पद का दुरुपयोग करे, तो आम आदमी का कानून से भरोसा उठने लगता है। उन्होंने इस प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच की मांग करते हुए कहा कि इस मामले को सिर्फ एक पारिवारिक विवाद नहीं समझा जाना चाहिए, बल्कि इसमें पद और अधिकार का गलत उपयोग हुआ है।
जांच और कार्रवाई की मांग
दोनों पीड़ितों ने राज्य सरकार और न्यायपालिका से मांग की है कि इस मामले की निष्पक्ष और विस्तृत जांच कराई जाए, ताकि जो भी इस पूरे घटनाक्रम के लिए ज़िम्मेदार हैं, उन्हें उनके पद से हटाया जाए और कानूनी दंड दिया जाए।
एक टिप्पणी भेजें