जिला अस्पताल की व्यवस्था रामभरोसे, मरीजों को नहीं मिल रहे पलंग और ड्रिप स्टैंड स्वास्थ्य सेवाओं की जमीनी हकीकत उजागर, जिम्मेदारों के दावे हवा-हवाई
शिवपुरी (म.प्र.)। जिले की प्रमुख स्वास्थ्य सेवाएं देने वाला शिवपुरी जिला चिकित्सालय इन दिनों अव्यवस्थाओं का शिकार बना हुआ है। अस्पताल की बदहाली और संसाधनों की कमी ने मरीजों और उनके परिजनों की परेशानी को बढ़ा दिया है। उपचार हेतु आने वाले मरीजों को न तो पलंग मिल पा रहे हैं और न ही साधारण उपकरण जैसे ड्रिप स्टैंड उपलब्ध हैं। प्रशासनिक दावों के विपरीत, धरातल पर स्थिति बेहद चिंताजनक है।
मरीजों को नहीं मिल रहे पर्याप्त संसाधन
जिला अस्पताल में उपचार हेतु पहुंची महिला मरीज महीन नारायणी ने बताया कि उन्हें उपचार के लिए कोई पलंग उपलब्ध नहीं कराया गया। मजबूरीवश उन्हें एक अन्य मरीज के पलंग पर लेटकर इलाज करवाना पड़ा। इस तरह की घटनाएं न केवल स्वास्थ्य सेवा की विफलता को उजागर करती हैं, बल्कि गंभीर चिकित्सा परिस्थितियों में संक्रमण और असहजता की आशंका को भी बढ़ा देती हैं।
प्रशासनिक पक्ष – दावे और आंकड़े
इस विषय में जब सिविल सर्जन डॉ. बी. एल. यादव से संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि, "अस्पताल में वर्तमान में 400 पलंग उपलब्ध हैं और आवश्यकता पड़ने पर यह संख्या 600 तक बढ़ाई जा सकती है। ड्रिप स्टैंड की भी समुचित व्यवस्था मौजूद है। स्थान की उपलब्धता के अनुसार सुविधाएं बढ़ाई जाती हैं।"
हालांकि, मरीजों और उनके परिजनों द्वारा प्रस्तुत अनुभव इन दावों से पूरी तरह मेल नहीं खाते। अस्पताल में संसाधनों की अनुपलब्धता और व्यवस्थाओं की अव्यवस्था प्रशासन की कथनी और करनी के अंतर को स्पष्ट करती है।
जनता ने जताई नाराजगी, की मांग
स्थानीय नागरिकों और पीड़ितों के परिजनों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाओं और बुनियादी ढांचे में अविलंब सुधार किया जाए। उनका कहना है कि जिला अस्पताल में इलाज के लिए आने वाला हर मरीज सम्मान और सुविधा का हकदार है, और प्रशासन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी मरीज पलंग या आवश्यक उपकरण के अभाव में परेशान न हो।
निगरानी और जवाबदेही जरूरी
अस्पताल प्रबंधन और स्वास्थ्य विभाग की नाकामी अब आम जनता के सब्र को तोड़ रही है। प्रशासन को चाहिए कि वह अस्पताल की व्यवस्थाओं की समय-समय पर सघन जांच करे और दोषियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई सुनिश्चित करे।
जब तक जवाबदेही तय नहीं होती, तब तक जिला अस्पताल की स्थिति में सुधार की उम्मीद बेमानी है। सवाल यह है कि क्या जिम्मेदार अधिकारी इस ओर गंभीरता से ध्यान देंगे, या फिर मरीजों की यह दुर्दशा यूं ही चलती रहेगी?
एक टिप्पणी भेजें