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कृषि (उद्यानिकी) फसलों को पाले से बचाव के लिए सुझाव

कृषि (उद्यानिकी) फसलों को पाले से बचाव के लिए सुझाव




शिवपुरी, 12 दिसम्बर 2024/ कृषक बंधुओं शीतलहर, कोहरा एंव पाले से सर्दी के मौसम में सभी फसलों को थोड़ा या ज्यादा नुकसान होता है। टमाटर, आलू, मिर्ची, बैंगन, मटर आदि सब्जियों एवं पपीता, केले के पौधें भी पाले से प्रभावित हो जाते हैं। जब वायुमण्डल का तापमान 4 डिग्री सेल्सियस से कम तथा शून्य डिग्री सेल्सियस पहुँच जाता है तो पाला पड़ता है इसलिए पाले से बचाव हेतु आवश्यक उपाय करें।

किसान मित्रों ठंड के मौसम में पाला पड़ने से पहले खेतों की मेढ़ों पर घांस, फॅस जलाकर धुआँ करें इससे आसपास का वातावरण गर्म हो जाता है। पाले से फसलों को बचाने के लिए सिंचाई करना चाहिए। इससे फसलों में पाले का प्रभाव कम हो जाता है। पाला पड़ने की सम्भावना वाले दिनों में मिट्टी की गुड़ाई या जुताई नहीं करनी चाहिए क्योंकि ऐसा करने से तापमान कम हो जाता है। सल्फर (गंधक) से पौधों में गर्मी बनती हैं। 8-10 कि.ग्राम सल्फर डस्ट प्रति एकड़ के हिसाब से डाल सकते हैं या घुलनशील सल्फर 80 प्रतिशत डब्ल्यूडीजी की 20 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए। थायो यूरिया 25-30 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए। इसके अलावा 20-25 दिन का सडा हुआ मठा (छाछ) 4 लीटर, सौ लीटर पानी में घोल बनाकर आलू की फसल पर दो से तीन बार छिड़काव करने से पाले से बचाया जा सकता है।

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