News Breaking
Live
wb_sunny Mar, 17 2025

Breaking News

हमें लगातार संभावनाओं को देखते हुए बेहतर करने का प्रयास करना चाहिए- कलेक्टर

हमें लगातार संभावनाओं को देखते हुए बेहतर करने का प्रयास करना चाहिए- कलेक्टर


 सुशासन प्रथाओं और पहल पर हुआ कार्यशाला का आयोजन


वरिष्ठ समाजसेवी, लेखक और पत्रकारों ने रखें अपने विचार


शिवपुरी। 19 से 24 दिसंबर तक सुशासन सप्ताह के रूप में मनाया जा रहा है। और 25 दिसंबर को सुशासन दिवस के रूप में मनाया जाएगा। 

सुशासन सप्ताह अंतर्गत सुशासन की दिशा में किए गए कार्य और पल पर चर्चा के लिए सोमवार को मानस भवन में कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में जिले के वरिष्ठ लेखक, समाजसेवी और पत्रकारों ने अपने विचार साझा किए। वरिष्ठ पत्रकार और लेखक प्रमोद भार्गव, आलोक एम इंदौरिया, संजीव बांझल भी कार्यशाला शामिल हुए।


कलेक्टर रवीन्द्र कुमार चौधरी ने कहा कि हमें लगातार संभावनाओं को देखते हुए बेहतर करने का प्रयास करना चाहिए। प्रत्येक कार्य में हमेशा अच्छा करने की संभावना होती है।सभी अधिकारियों के लिए सुशासन सप्ताह के तहत इस कार्यशाला का आयोजन किया गया है। उन्होंने जिले में किए गए नवाचार के बारे में भी बताया।उन्होंने कहा कि एक लोक सेवक के नाते हमारी प्रतिदिन की प्राथमिकता निर्धारित होना चाहिए। इसके अलावा एक अधिकारी की तरह नहीं बल्कि मानवीय दृष्टिकोण से एक लोक सेवक की तरह लोगों की शिकायतों को सुनें और उनका निराकरण करें।  विभिन्न विभागों के अधिकारियों ने भी वर्तमान में किए जा रहे कार्यों के बारे में जानकारी दी।

  

साहित्य के माध्यम से संस्कृति से जुड़ें, इससे हम बेहतर कार्य कर सकेंगे- प्रमोद भार्गव

वरिष्ठ पत्रकार एवं साहित्यकार प्रमोद भार्गव ने कहा कि सुशासन दिवस पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई की देन है। आज के युग में हम सब साहित्य से दूर होते चले जा रहे है। साहित्य हमें प्रेरणा देता है। जिससे समाज आगे बढ़ेगा। साहित्य के माध्यम से संस्कृति से जुड़ना होगा, इसके लिए हमें अच्छे कार्य करने होंगे। आज के तकनीकी के युग में साहित्य हमें संवेदनशीलता से जोड़ता है।


प्रशासन और जनता के बीच संवाद होना चाहिए - आलोक एम.इंदौरिया

वरिष्ठ पत्रकार आलोक एम इंदौरिया ने कहा कि प्रशासन और जनता के बीच संवाद बना रहना चाहिए। कोई भी जरूरतमंद नागरिक परेशान न हो। सुशासन का सही अर्थ यही है कि जो पात्र व्यक्ति है जरूरतमंद है उस तक सेवा पहुंचे। जनसुनवाई में हितग्राहियों से प्राप्त होने वाले आवेदन पत्रों का निराकरण तहसील स्तर पर भी त्वरित रूप से कराया जाए। शासन की योजनाओं का लाभ समय पर हितग्राहियों को प्राप्त हो। कार्य में पारदर्शिता बनी रहे।


वरिष्ठ पत्रकार संजीव बांझल ने कहा कि शासन और सुशासन में   अंतर एक शब्द का है लेकिन शासन तब सुशासन में परिवर्तित होता है जब शासकीय योजनाओं ओर सेवाओं को ग्रामीण क्षेत्रों तक दूर दराज पिछड़े लोगों तक पहुंचाया जाए। विभिन्न विभागों के माध्यम से अधिकारी इस दिशा में पहल कर सकते हैं। यदि ग्रामीण स्तर पर ही हमारी समस्याओं का निराकरण हो तो ग्रामीणों को जिला मुख्यालय तक परेशान नहीं होना पड़ेगा। अधिकारियों की तत्परता सुशासन की दिशा में पहला कदम है।

Tags

Newsletter Signup

Sed ut perspiciatis unde omnis iste natus error sit voluptatem accusantium doloremque.

एक टिप्पणी भेजें