हार के बाद रामनिवास रावत क्या बोल गए?
“40 साल की राजनीति में जो भी सम्मान, प्रेम और विश्वास आपने मुझ पर जताया है, वह मेरे जीवन की सबसे बड़ी पूंजी है। इस बार भी आपने 93,000 से ज़्यादा वोट देकर मुझ पर जो भरोसा दिखाया है, उसके लिए मैं हृदय की गहराइयों से आपका आभार व्यक्त करता हूँ। यह समर्थन सिर्फ एक आंकड़ा नहीं, बल्कि आपकी भावनाओं और उम्मीदों का प्रतिबिंब है। हार-जीत मेरे लिए कभी मायने नहीं रखती, क्योंकि मेरी राजनीति का मूल उद्देश्य सत्ता नहीं, सेवा है। मैं हमेशा से आपकी आवाज़ रहा हूँ और आगे भी आपके अधिकारों, सम्मान और विकास की लड़ाई लड़ता रहूँगा।
राजनीति मेरे लिए एक साधन है, साध्य नहीं। मेरा असली लक्ष्य आपके जीवन में खुशहाली और क्षेत्र की प्रगति है। चुनाव के नतीजे बदल सकते हैं, लेकिन मेरी जनसेवा की प्रतिबद्धता अटल है। मैं आपका था, हूँ, और हमेशा आपका ही रहूँगा। यह यात्रा सिर्फ सत्ता के गलियारों तक सीमित नहीं है, बल्कि गाँव-गाँव, गली-गली में बसे हर उस व्यक्ति तक पहुँचने की है, जिसकी आँखों में सपने हैं और दिल में उम्मीदें।
हर हार एक सीख देती है, और हर जीत एक नई जिम्मेदारी। आज भले ही परिणाम कुछ भी हो, लेकिन मेरी लड़ाई आपके अधिकारों और क्षेत्र के विकास के लिए जारी रहेगी। राजनीति में मेरा उद्देश्य सिर्फ चुनाव जीतना नहीं, बल्कि आपके दिलों में बसना है। मैं जानता हूँ कि चुनौतियाँ बहुत हैं, लेकिन आपकी उम्मीदें और आशीर्वाद मेरी सबसे बड़ी ताकत हैं।
यह हार एक पड़ाव है, मंज़िल नहीं। मेरे लिए सबसे बड़ी जीत वह दिन होगा जब हमारे क्षेत्र का हर गाँव विकास की राह पर होगा, जब हर किसान खुशहाल होगा, जब हर युवा के हाथ में रोजगार होगा। मेरी राजनीति का मकसद यही है कि कोई भी व्यक्ति खुद को असहाय या अकेला महसूस न करे। आपका विश्वास और मेरा संकल्प, मिलकर इस क्षेत्र को नई ऊंचाइयों तक ले जाएंगे।
जनता की सेवा ही मेरा धर्म है, और इस पवित्र धर्म का पालन मैं जीवन की अंतिम सांस तक करता रहूँगा। मेरे कदम नहीं रुकेंगे, मेरी आवाज़ नहीं थमेगी, और मेरा संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक आपके सपने साकार नहीं होते। राजनीति में हार-जीत से ऊपर उठकर, मैं हमेशा आपके साथ, आपके बीच और आपके लिए खड़ा रहूँगा। क्योंकि यह सिर्फ मेरा नहीं, हम सबका सफर है—विकास और विश्वास का सफर।”
आपका सेवक - रामनिवास रावत!
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